
कनकधारा स्तोत्रम्
मूल: मनुष्य की अधिकांश परेशानियां धन से जुड़ी होती हैं, आदि शंकराचार्य द्वारा एक ऐसे ही मंत्र की रचना की गयी थी, जिसके सही उच्चारण से मां लक्ष्मी भी आपके ऊपर धन बरसाने के लिए विवश हो जाएंगी।
पाठ के लाभ: इस मंत्र को कनकधारा स्तोत्र कहा जाता है, जिसके नियमित उच्चारण से आपके जीवन की धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाएंगी या कभी आपके समीप आ ही नहीं पाएंगी।
पौराणिकमान्यता: ऐसा कहा जाता है कि एक बार अद्वैत मत के जनक आदि शंकराचार्य भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे। एक महिला की नजर भिक्षा मांगते हुए उस बालक पर गई। उस महिला को बालक के प्रति अजीब सा खिंचाव महसूस हुआ। वह स्त्री बहुत निर्धन थी, उस बालक को कुछ भी अच्छा भोजन के लिए नहीं दे सकती, उस समय उसे अपने दुर्भाग्य पर बहुत क्रोध आ रहा था।
आदि शंकराचार्य ने उस स्त्री से कहा कि जो भी उनके पास हैं, भले ही बहुत कम, लेकिन वह पर्याप्त है। उस स्त्री ने एकादशी का व्रत रखा हुआ था और उसके पास एक बेर के अलावा व्रत खोलने के लिए और कुछ नहीं था। उसने वह बेर भी शंकराचार्य के पात्र में डाल दिया। वहां से निकलते हुए शंकराचर्य ने लक्ष्मी जी के मंत्र का जाप किया और तभी अचानक वहां बेरों की बरसात सी होने लगी और देखते ही देखते उस स्त्री के घर का आंगन बेरों से भर गया।
कनकधारा स्तोत्रम्
मूल: मनुष्य की अधिकांश परेशानियां धन से जुड़ी होती हैं, आदि शंकराचार्य द्वारा एक ऐसे ही मंत्र की रचना की गयी थी, जिसके सही उच्चारण से मां लक्ष्मी भी आपके ऊपर धन बरसाने के लिए विवश हो जाएंगी।
पाठ के लाभ: इस मंत्र को कनकधारा स्तोत्र कहा जाता है, जिसके नियमित उच्चारण से आपके जीवन की धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाएंगी या कभी आपके समीप आ ही नहीं पाएंगी।
पौराणिकमान्यता: ऐसा कहा जाता है कि एक बार अद्वैत मत के जनक आदि शंकराचार्य भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे। एक महिला की नजर भिक्षा मांगते हुए उस बालक पर गई। उस महिला को बालक के प्रति अजीब सा खिंचाव महसूस हुआ। वह स्त्री बहुत निर्धन थी, उस बालक को कुछ भी अच्छा भोजन के लिए नहीं दे सकती, उस समय उसे अपने दुर्भाग्य पर बहुत क्रोध आ रहा था।
Origin: Most of the problems of human beings are related to wealth, a similar mantra was composed by Adi Shankara, whose correct pronunciation will force mother Lakshmi to shower money on you.
Benefits of recitation: This mantra is called Kanakadhara Stotra, the regular pronunciation of which will remove your money related problems of your life or will never come close to you.
Mythological Belief: It is said that once Adi Shankaracharya, the father of Advaitaism, was wandering here and there in search of food. Seeing a woman, begging went to the child. The woman felt a strange vibe towards the child. The woman was very poor, could not give anything good to that child for food, at that time she was very angry at her misfortune.
Adi Shankaracharya told the woman that whatever they have, even though very few, but that is enough. The woman was observing Ekadashi fast and had nothing else to open the fast except a plum. He also put that plum in the character of Shankaracharya. While leaving from there, Shankaracharya chanted the mantra of Lakshmi ji and then suddenly there was a rainy procession of the “Jujube(Ber)” and on seeing this, the courtyard of that woman’s house was filled with “Jujube(Ber)”.धनप्रदायिनी श्री कनकधारा स्तोत्रम्
अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥1॥
मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि। मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥
विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्ष आनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणर्द्ध मिन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्। आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥4॥
बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला, कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥5॥
कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव। मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥6॥
धनप्रदायिनी श्री कनकधारा स्तोत्रम्
अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥1॥
मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि। मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥
विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्ष आनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणर्द्ध मिन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्। आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥4॥
बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला, कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥5॥
कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव। मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥6॥
शुभमुहूर्त: शुक्रवार के दिन कनकधारा स्तोत्र का जाप करता है, माता लक्ष्मी उसके जीवन से धन संबंधी परेशानियों को हर लेती हैं।
Shubhamuhurta: Chants of Kanakadhara StotraOn Friday, Mata Lakshmi takes away money related troubles from her life.