
माता त्रिपुर भैरवी
आप सभी को सादर जय माता दी हम आप भक्तों के बीच में माता त्रिपुर भैरवी जो छठी महाविद्या हैं। आप सभी के मंगल हेतु माता भगवती त्रिपुर भैरवी की मंगमयी कथा को लेकर आपके समक्ष उपस्थित है।
आइये जानते हैं कि कैसी हैं हमारी माता त्रिपुर भैरवी, त्रिपुर भैरवी की उपासना से बंधन दूर हो जाते हैं, इनकी उपासना से व्यक्ति को सफलता एवं सर्वसम्पदा की प्राप्ति होती है। शक्ति साधना तथा भक्ति मार्ग में किसी भी रूप से त्रिपुर भैरवी की उपासना फलदायक ही है। साधना द्वारा अहंकार का नाश होता है, तब साधक में पूर्ण शिशुत्व का उदय हो जाता है और माता साधक के समक्ष प्रकट होती है। इनकी प्रसन्नता से साधक को सहज ही सम्पूर्ण अभीष्टों की प्राप्ति होती है।
त्रिपुर भैरवी के नाना प्रकार के भेद बताए गए है। जो इस प्रकार है-
- 1. त्रिपुरा भैरवी
- 2. सिद्ध भैरवी
- 3. चैतन्य भैरवी
- 4. भुवनेश्वर भैरवी
- 5. संपदाप्रद भैरवी
- 6. कमलेश्वरी भैरवी
- 7. कौलेश्वर भैरवी
- 8. नित्या भैरवी
- 9. रूद्र भैरवी
- 10. भ्रद भैरवी
माता त्रिपुर भैरवी
आप सभी को सादर जय माता दी हम आप भक्तों के बीच में माता त्रिपुर भैरवी जो छठी महाविद्या हैं। आप सभी के मंगल हेतु माता भगवती त्रिपुर भैरवी की मंगमयी कथा को लेकर आपके समक्ष उपस्थित है।
आइये जानते हैं कि कैसी हैं हमारी माता त्रिपुर भैरवी, त्रिपुर भैरवी की उपासना से बंधन दूर हो जाते हैं, इनकी उपासना से व्यक्ति को सफलता एवं सर्वसम्पदा की प्राप्ति होती है। शक्ति साधना तथा भक्ति मार्ग में किसी भी रूप से त्रिपुर भैरवी की उपासना फलदायक ही है। साधना द्वारा अहंकार का नाश होता है, तब साधक में पूर्ण शिशुत्व का उदय हो जाता है और माता साधक के समक्ष प्रकट होती है। इनकी प्रसन्नता से साधक को सहज ही सम्पूर्ण अभीष्टों की प्राप्ति होती है।
त्रिपुर भैरवी के नाना प्रकार के भेद बताए गए है। जो इस प्रकार है-
- 1. त्रिपुरा भैरवी
- 2. सिद्ध भैरवी
- 3. चैतन्य भैरवी
- 4. भुवनेश्वर भैरवी
- 5. संपदाप्रद भैरवी
- 6. कमलेश्वरी भैरवी
- 7. कौलेश्वर भैरवी
- 8. नित्या भैरवी
- 9. रूद्र भैरवी
- 10. भ्रद भैरवी
‘षटकुटा भैरवी’ अदि त्रिपुरा भैरवी उध्र्वान्य की देवता हैं। भागवत के अनुसार महाकाली के उग्र और सौम्य दो रूपों मंे अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविद्याऐं हुई हैं। भगवान शिव की यह महाविद्याऐं सिद्धियाँ प्रदान करने वाली होती हैं।
‘नारद पा´यरात्र’ के अनुसार एक बार जब देवी काली के मन में आया कि वह पुनः अपना गौर वर्ण प्राप्त करलें तो यह सोचकर देवी अन्तर्धान हो जाती हंै। भगवान शिव जब देवी को अपने समक्ष नहीं पाते तो व्याकुल हो जाते हैं और ढूढ़ने निकल जातेे हैं। भगवान शंकर देवऋषि नारद जी से देवी के विषय में पूॅछते हैं। तब नारद जी उन्हें देवी का बोध कराते हैं। वह कहते है कि शक्ति के दर्शन आपको सुमेरू के उत्तर में हो सकते हैं। वहीं देवी की प्रत्यक्ष उपस्थित होने की बात संभव हो सकती है। तब भोले शंकर की आज्ञा अनुसार नारद जी देवी की खोज करने निकल जाते हैं।
महर्षि नारद जी जब वहाॅ पहुॅचते हैं तो देवी से शिव जी के साथ विवाह का प्रस्ताव रखते हैं। यह प्रस्ताव सुन माॅ भगवती क्रुद्र हो जाती हैं और माॅ भगवती की देह से एक अन्य षोडशी विग्रह प्रकट होता है और इस प्रकार उससे छाया विग्रह ‘त्रिपुर भैरवी’ का प्राकट्य होता है।
माॅ का स्वरूप श्रृष्टि के निर्माण और संहार क्रम को जारी रखे हुए है। माॅ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं। माॅ भैरवी के अन्य तेरह स्वरूप हैं। इनका हर रूप अपने आप अन्यतम है। माता के किसी भी स्वरूप की साधना साधक को सार्थक कर देती हैं। माॅ त्रिपुर भैरवी कंठ में मुंडमाला धारण किये हुए हैं। माॅ ने अपने हाथों में माला धारण कर रखी है। माॅ स्वयं साधनामय हैं। उन्होंने अभय और वरमुद्रा धारण कर रखी है जो भक्तों को सौभाग्य प्रदान करती हैं। माॅ ने लाल वस्त्र धारण किया है। माॅ के हाथ में विद्या तत्व है माॅ त्रिपुरा भैरवी की पूजा में लाल रंग का उपयोग किया जाना लाभदायक है। माॅ जगदम्बा का परम धाम वाराणसी उत्तर प्रदेश में स्थित है।माता त्रिपुर भैरवी पूजा का महत्व
माँ भैरवी की पूजा करने से हमे उनके रूप के अनुसार दो तरह के लाभ मिलते हैं। पहले रूप के अनुसार हमे बुरी आदतों, शक्तियों व आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक कमजोरी है तो भी उसे माँ भैरवी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता हैं और अभय प्रदान करता हैं।
माँ के दूसरे रूप से हमारे वैवाहिक जीवन या प्रेम जीवन में सुधार देखने को मिलता हैं। यदि आप एक अच्छे जीवनसाथी को खोज रहे हैं तो आपको माँ भैरवी के सुंदर रूप की पूजा करनी चाहिए। साथ ही यदि आपका विवाह हो चुका हैं तो उसके सुखमय रहने की भी प्रबल संभावना हैं।
माँ भगवती त्रिपुर भैरवी जयंती,,मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन बड़े ही विधि-विधान से मनाई जाती है। इस दिन माँ त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति हुई थी। त्रिपुर भैरवी को भव-बन्ध-मोचन की देवी कही जाती है। उनकी उपासना से सभी बंधन दूर और व्यक्ति को सफलता एवं सर्वसंपदा की प्राप्ति होती है। कहा जाता है की शक्ति-साधना तथा भक्ति-मार्ग में किसी भी रुप में त्रिपुर भैरवी की उपासना फलदायक होती है। माँ भगवती त्रिपुर भैरवी की साधना-तप से अहंकार का नाश होता है तब साधक में पूर्ण शिशुत्व का उदय हो जाता है और माता, साधक के समक्ष प्रकट होती है भक्ति-भाव से मन्त्र-जप, पूजा, होम करने से भगवती त्रिपुर भैरवी प्रसन्न होती हैं। उनकी प्रसन्नता से साधक को सहज ही संपूर्ण अभीष्टों की प्राप्ति होती है।
माता त्रिपुर भैरवी पूजा का महत्व
माँ भैरवी की पूजा करने से हमे उनके रूप के अनुसार दो तरह के लाभ मिलते हैं। पहले रूप के अनुसार हमे बुरी आदतों, शक्तियों व आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक कमजोरी है तो भी उसे माँ भैरवी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता हैं और अभय प्रदान करता हैं।
माँ के दूसरे रूप से हमारे वैवाहिक जीवन या प्रेम जीवन में सुधार देखने को मिलता हैं। यदि आप एक अच्छे जीवनसाथी को खोज रहे हैं तो आपको माँ भैरवी के सुंदर रूप की पूजा करनी चाहिए। साथ ही यदि आपका विवाह हो चुका हैं तो उसके सुखमय रहने की भी प्रबल संभावना हैं।
माँ भैरवी 2100 पाठ
माँ भैरवी की पूजा करने से हमे उनके रूप के अनुसार दो तरह के लाभ मिलते हैं। पहले रूप के अनुसार हमे बुरी आदतों, शक्तियों व आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक कमजोरी है तो भी उसे माँ भैरवी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता हैं और अभय प्रदान करता हैं।
₹ 21,000 31,000
माँ भैरवी 2100 पाठ
माँ भैरवी की पूजा करने से हमे उनके रूप के अनुसार दो तरह के लाभ मिलते हैं। पहले रूप के अनुसार हमे बुरी आदतों, शक्तियों व आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक कमजोरी है तो भी उसे माँ भैरवी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता हैं और अभय प्रदान करता हैं।
माँ भैरवी 5100 पाठ
माँ भैरवी की पूजा करने से हमे उनके रूप के अनुसार दो तरह के लाभ मिलते हैं। पहले रूप के अनुसार हमे बुरी आदतों, शक्तियों व आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक कमजोरी है तो भी उसे माँ भैरवी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता हैं और अभय प्रदान करता हैं।
₹ 51,000 61,000
माँ भैरवी 5100 पाठ
माँ भैरवी की पूजा करने से हमे उनके रूप के अनुसार दो तरह के लाभ मिलते हैं। पहले रूप के अनुसार हमे बुरी आदतों, शक्तियों व आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक कमजोरी है तो भी उसे माँ भैरवी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता हैं और अभय प्रदान करता हैं।
माँ भैरवी सवा लाख जाप
माँ भैरवी की पूजा करने से हमे उनके रूप के अनुसार दो तरह के लाभ मिलते हैं। पहले रूप के अनुसार हमे बुरी आदतों, शक्तियों व आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक कमजोरी है तो भी उसे माँ भैरवी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता हैं और अभय प्रदान करता हैं।
₹ 81,000 1,00,000
माँ भैरवी सवा लाख जाप
माँ भैरवी की पूजा करने से हमे उनके रूप के अनुसार दो तरह के लाभ मिलते हैं। पहले रूप के अनुसार हमे बुरी आदतों, शक्तियों व आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। इसके अलावा यदि व्यक्ति को किसी तरह की शारीरिक कमजोरी है तो भी उसे माँ भैरवी के इस रूप की पूजा करनी चाहिए। माँ का यह रूप अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता हैं और अभय प्रदान करता हैं।
माँ भैरवी सम्पूर्ण कवच
समस्त वस्तुएँ सवा लाख मंत्र एवं विशेष पूजन के द्वारा सिद्ध की गयी हैं ,इन समस्त वस्तुओं के उपयोग से आप अपने जीवन से संबंधित परेशानी को दूर कर सकते हैं ,ये वस्तुएँ आपके जीवन में उन्नति एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करेंगी ।।
₹ 5100 11,000
माँ भैरवी सम्पूर्ण कवच
समस्त वस्तुएँ सवा लाख मंत्र एवं विशेष पूजन के द्वारा सिद्ध की गयी हैं ,इन समस्त वस्तुओं के उपयोग से आप अपने जीवन से संबंधित परेशानी को दूर कर सकते हैं ,ये वस्तुएँ आपके जीवन में उन्नति एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करेंगी ।।
सर्व कार्य सिद्धि हेतु हवन
राजस यज्ञ सात्विक होता है , जिसे समस्त लोग कर सकते हैं , तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं , तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती ,
₹ 11,000 ₹ 21,000
सर्व कार्य सिद्धि हेतु हवन
राजस यज्ञ सात्विक होता है , जिसे समस्त लोग कर सकते हैं , तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं , तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती ,
यज्ञ तीन प्रकार के होते हैं:- राजस , तामस , और तानस ,
राजस यज्ञ सात्विक होता है, जिसे समस्त लोग कर सकते हैं, तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं, तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती,
राजस यज्ञ-
राजस यज्ञ हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है तथा नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है , राजस यज्ञ हम श्री ( लक्ष्मी ) प्राप्ति के लिए , वास्तुदोष शांति के लिए , नव ग्रहों की शांति के लिए , रुद्राभिषेक के लिए , श्रीमद्भागवत कथा एवं राम कथा आदि के लिए करते हैं जिसका फल हमें मंगलमय आनंद स्वरूप में प्राप्त होता है।
तामस यज्ञ-
तामस यज्ञ सकारात्मकता को नष्ट करके नकारात्मकता को प्रदान करता है , तथा इस यज्ञ में ड़लने वाली समस्त आहुति सात्विक नहीं होती हैं तथा इस यज्ञ को मारण क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है।
तानस यज्ञ-
तानस यज्ञ तंत्र क्रिया द्वारा किया जाता है इस यज्ञ को जिंद , मसान , प्रेत , श्मशान भैरवी , आदि की सिद्धि के लिए किया जाता है , इस यज्ञ की भी आहुति सात्विक नहीं होती हैं।