
कौन है देवी मातंगी?
आज हम आपके लिए नौमी (नवम्) महाविद्या माता मातंगी की कथा को लेकर आए हैं। अतः आापसे आशा है कि भक्तियुक्त चित्त से कथा का श्रवण करेंगे-
मातंगी देवी प्रकृति की देवी हैं, कला संगीत की देवी हैं, तंत्र की देवी हैं, वचन की देवी है, यह एकमात्र ऐसी देवी हैं, जिनके लिए व्रत नहीं रखा जाता है। यह केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं।
भगवान शंकर और पार्वती के भोज्य की शक्ति के रूप में मातंगी देवी का ध्यान किया जाता है। मातंगी देवी को किसी भी प्रकार के इंद्रजाल और जादू को काटने की शक्ति प्रदत्त है। देवी मातंगी का स्वरूप मंगलकारी है। वह विद्या और वााणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। पशु, पक्षी, जंगल आदि प्राकृतिक तत्वों उनका वास होता है। वह दस महाविद्याओं में नौवे स्थान पर हैं। मातंगी देवी श्री लक्ष्मी का ही स्वरूप हैं। नवरात्रि में जहाॅ स्थान माॅ सिद्धिदात्री को प्राप्त है वहाॅ गुप्त नवरात्रि की नवमी को मातंगी देवी को अधिष्ठाप्ती देवी माना है। स्वरूप दोनों ही श्री लक्ष्मी के हैं।
कौन है देवी मातंगी?
आज हम आपके लिए नौमी (नवम्) महाविद्या माता मातंगी की कथा को लेकर आए हैं। अतः आापसे आशा है कि भक्तियुक्त चित्त से कथा का श्रवण करेंगे-
मातंगी देवी प्रकृति की देवी हैं, कला संगीत की देवी हैं, तंत्र की देवी हैं, वचन की देवी है, यह एकमात्र ऐसी देवी हैं, जिनके लिए व्रत नहीं रखा जाता है। यह केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं।
मतंग ऋषि की पुत्री हैं माता मातंगी, एक बार भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, भगवान शिव तथा पार्वती से मिलने हेतु उनके निवास स्थान कैलाश शिखर पर गए। भगवान विष्णु अपने साथ कुछ खाने की सामग्री ले गये और शिव जी को भेट किए। भगवान शिव तथा पार्वती ने भोजन किया लेकिन कुछ अंश धरती पर गिरे। उन गिरे हुए भोजन के भागों से एक श्याम वर्ण वाली दासी ने जन्म लिया, जो मातंगी नाम से विख्यात हुई। अन्यत्र पुराणों में इन्हें मतंग ऋषि की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नाम मातंगी पड़ा। उनकी सर्वप्रथम आराधना भगवान विष्णु ने की। वह विष्णु जी की आद्य शक्ति भी मानी गई है। देवी मातंगी गहरे नीले रंग या श्याम वर्ण की हैं। अर्धचन्द्र धारण करती हैं। तीन नशीले नेत्र। रत्नमय सिंहासन पर आसीन हैं। उनको कमल का आसन भी प्रिय है। वह गुंजा के बीजों की माला धारण करती हैं। चतुर्भुजी हैं लाल रंग के आभूषण भी धारण करती हैं दायें हाथों में वीणा तथा मानव खोपड़ी धारण रखी है तथा बायें हाथों में खङग धारण करती हैं। यह उनकी अभय मुद्रा है तोते हर समय इनके साथ हैं जो वाणी और वाचन के प्रतीक है। इनका परम धाम गुजरात के महेषाणा में स्थित है।
मातंगी पूजा के लाभ
मातंगी पूजा से आप भौतिक जीवन को भोगते हुए आध्यात्म की उँचाइयो को छू सकते है । मातंगी पूजा से जातक को पूर्ण गृहस्थ सुख ,शत्रुओ का नाश, भोग विलास,आपार सम्पदा,वाक सिद्धि, कुंडली जागरण ,आपार सिद्धियां, काल ज्ञान ,इष्ट दर्शन आदि माँ के आशीर्वाद से प्राप्त होते है।
मतंग ऋषि की पुत्री हैं माता मातंगी, एक बार भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, भगवान शिव तथा पार्वती से मिलने हेतु उनके निवास स्थान कैलाश शिखर पर गए। भगवान विष्णु अपने साथ कुछ खाने की सामग्री ले गये और शिव जी को भेट किए। भगवान शिव तथा पार्वती ने भोजन किया लेकिन कुछ अंश धरती पर गिरे। उन गिरे हुए भोजन के भागों से एक श्याम वर्ण वाली दासी ने जन्म लिया, जो मातंगी नाम से विख्यात हुई। अन्यत्र पुराणों में इन्हें मतंग ऋषि की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नाम मातंगी पड़ा। उनकी सर्वप्रथम आराधना भगवान विष्णु ने की। वह विष्णु जी की आद्य शक्ति भी मानी गई है। देवी मातंगी गहरे नीले रंग या श्याम वर्ण की हैं। अर्धचन्द्र धारण करती हैं। तीन नशीले नेत्र। रत्नमय सिंहासन पर आसीन हैं। उनको कमल का आसन भी प्रिय है। वह गुंजा के बीजों की माला धारण करती हैं। चतुर्भुजी हैं लाल रंग के आभूषण भी धारण करती हैं दायें हाथों में वीणा तथा मानव खोपड़ी धारण रखी है तथा बायें हाथों में खङग धारण करती हैं। यह उनकी अभय मुद्रा है तोते हर समय इनके साथ हैं जो वाणी और वाचन के प्रतीक है। इनका परम धाम गुजरात के महेषाणा में स्थित है।
!!भगवत्यै मातंग्यै नमः!!

मातंगी पूजा के के लिए आवश्यक जानकारी
जन्मतिथि, जन्म का समय, जन्म स्थान, गोत्र आदि। यदि आप एक से ज्यादा लोगों के नाम पर मातंगी पूजा कराना चाहते है तो आपको हमें उनके नाम, जन्म तिथि, जन्म स्थान और गोत्र की जानकारी देनी होगी।
किस तरह मातंगी पूजा संपन्न होगी
मातंगी पूजा के लिए सारी जानकारी हमें प्राप्त होने के बाद आपको पूजा की राशि का भुगतान करना होगा।
पूजा की दक्षणा अदा करने के बाद हम आपको मातंगी पूजा का मुहर्त बताएंगे । मातंगी पूजा कितने समय तक चलेगी और पूजा में कितने पंडित शामिल होंगे। यह सभी जानकारी आप को मातंगी पूजा से पहले दे दी जाती है।
पूजा समाप्त होने के बाद मातंगी पूजा का प्रसाद आपके दिए हुए घर के एड्रेस पर पहुंचा दिया जाता है। यदि आप मातंगी पूजा से सम्बंधित कोई भी जानकारी प्राप्र्त करना चाहते हैं तो आप हमें कॉल कर सकते हैं।
मातंगी पूजा के के लिए आवश्यक जानकारी
जन्मतिथि, जन्म का समय, जन्म स्थान, गोत्र आदि। यदि आप एक से ज्यादा लोगों के नाम पर मातंगी पूजा कराना चाहते है तो आपको हमें उनके नाम, जन्म तिथि, जन्म स्थान और गोत्र की जानकारी देनी होगी।
किस तरह मातंगी पूजा संपन्न होगी
मातंगी पूजा के लिए सारी जानकारी हमें प्राप्त होने के बाद आपको पूजा की राशि का भुगतान करना होगा।
पूजा की दक्षणा अदा करने के बाद हम आपको मातंगी पूजा का मुहर्त बताएंगे । मातंगी पूजा कितने समय तक चलेगी और पूजा में कितने पंडित शामिल होंगे। यह सभी जानकारी आप को मातंगी पूजा से पहले दे दी जाती है।
माँ मातंगी 2100 पाठ
माता मातंगी का यह रूप माता सरस्वती के समान हैं। इसलिए इनकी साधना करने से हमे माता सरस्वती की पूजा समान लाभ भी मिलते हैं। इससे व्यक्ति की बुद्धि व विद्या का विकास होता हैं तथा वाणी मधुर बनती हैं। माता मातंगी के आशीर्वाद से मनुष्य को कला व संगीत के क्षेत्र में उन्नति देखने को मिलती हैं।
₹ 21,000 31,000
माँ मातंगी 2100 पाठ
माता मातंगी का यह रूप माता सरस्वती के समान हैं। इसलिए इनकी साधना करने से हमे माता सरस्वती की पूजा समान लाभ भी मिलते हैं। इससे व्यक्ति की बुद्धि व विद्या का विकास होता हैं तथा वाणी मधुर बनती हैं। माता मातंगी के आशीर्वाद से मनुष्य को कला व संगीत के क्षेत्र में उन्नति देखने को मिलती हैं।
माँ मातंगी 5100 पाठ
माता मातंगी का यह रूप माता सरस्वती के समान हैं। इसलिए इनकी साधना करने से हमे माता सरस्वती की पूजा समान लाभ भी मिलते हैं। इससे व्यक्ति की बुद्धि व विद्या का विकास होता हैं तथा वाणी मधुर बनती हैं। माता मातंगी के आशीर्वाद से मनुष्य को कला व संगीत के क्षेत्र में उन्नति देखने को मिलती हैं।
₹ 51,000 61,000
माँ मातंगी 5100 पाठ
माता मातंगी का यह रूप माता सरस्वती के समान हैं। इसलिए इनकी साधना करने से हमे माता सरस्वती की पूजा समान लाभ भी मिलते हैं। इससे व्यक्ति की बुद्धि व विद्या का विकास होता हैं तथा वाणी मधुर बनती हैं। माता मातंगी के आशीर्वाद से मनुष्य को कला व संगीत के क्षेत्र में उन्नति देखने को मिलती हैं।
माँ मातंगी सवा लाख जाप
माता मातंगी का यह रूप माता सरस्वती के समान हैं। इसलिए इनकी साधना करने से हमे माता सरस्वती की पूजा समान लाभ भी मिलते हैं। इससे व्यक्ति की बुद्धि व विद्या का विकास होता हैं तथा वाणी मधुर बनती हैं। माता मातंगी के आशीर्वाद से मनुष्य को कला व संगीत के क्षेत्र में उन्नति देखने को मिलती हैं।
₹ 81,000 1,00,000
माँ मातंगी सवा लाख जाप
माता मातंगी का यह रूप माता सरस्वती के समान हैं। इसलिए इनकी साधना करने से हमे माता सरस्वती की पूजा समान लाभ भी मिलते हैं। इससे व्यक्ति की बुद्धि व विद्या का विकास होता हैं तथा वाणी मधुर बनती हैं। माता मातंगी के आशीर्वाद से मनुष्य को कला व संगीत के क्षेत्र में उन्नति देखने को मिलती हैं।
माँ मातंगी सम्पूर्ण कवच
समस्त वस्तुएँ सवा लाख मंत्र एवं विशेष पूजन के द्वारा सिद्ध की गयी हैं ,इन समस्त वस्तुओं के उपयोग से आप अपने जीवन से संबंधित परेशानी को दूर कर सकते हैं ,ये वस्तुएँ आपके जीवन में उन्नति एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करेंगी ।।
₹ 5100 11,000
माँ मातंगी सम्पूर्ण कवच
समस्त वस्तुएँ सवा लाख मंत्र एवं विशेष पूजन के द्वारा सिद्ध की गयी हैं ,इन समस्त वस्तुओं के उपयोग से आप अपने जीवन से संबंधित परेशानी को दूर कर सकते हैं ,ये वस्तुएँ आपके जीवन में उन्नति एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करेंगी ।।
सर्व कार्य सिद्धि हेतु हवन
राजस यज्ञ सात्विक होता है , जिसे समस्त लोग कर सकते हैं , तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं , तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती ,
₹ 11,000 ₹ 21,000
सर्व कार्य सिद्धि हेतु हवन
राजस यज्ञ सात्विक होता है , जिसे समस्त लोग कर सकते हैं , तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं , तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती ,
Package Detailsयज्ञ तीन प्रकार के होते हैं:- राजस , तामस , और तानस ,
राजस यज्ञ सात्विक होता है, जिसे समस्त लोग कर सकते हैं, तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं, तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती,
राजस यज्ञ-
राजस यज्ञ हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है तथा नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है , राजस यज्ञ हम श्री ( लक्ष्मी ) प्राप्ति के लिए , वास्तुदोष शांति के लिए , नव ग्रहों की शांति के लिए , रुद्राभिषेक के लिए , श्रीमद्भागवत कथा एवं राम कथा आदि के लिए करते हैं जिसका फल हमें मंगलमय आनंद स्वरूप में प्राप्त होता है।
तामस यज्ञ-
तामस यज्ञ सकारात्मकता को नष्ट करके नकारात्मकता को प्रदान करता है , तथा इस यज्ञ में ड़लने वाली समस्त आहुति सात्विक नहीं होती हैं तथा इस यज्ञ को मारण क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है।
तानस यज्ञ-
तानस यज्ञ तंत्र क्रिया द्वारा किया जाता है इस यज्ञ को जिंद , मसान , प्रेत , श्मशान भैरवी , आदि की सिद्धि के लिए किया जाता है , इस यज्ञ की भी आहुति सात्विक नहीं होती हैं।
यज्ञ तीन प्रकार के होते हैं:- राजस , तामस , और तानस ,
राजस यज्ञ सात्विक होता है, जिसे समस्त लोग कर सकते हैं, तामस यज्ञ सात्विक नहीं होता है तथा उसमें ड़लने वाली आहुति भी सात्विक नहीं होती हैं, तथा तानस यज्ञ जिसे तांत्रिक क्रिया से किया जाता है , इस यज्ञ में भी सात्विक आहुति नहीं ड़लती,
राजस यज्ञ-
राजस यज्ञ हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है तथा नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है , राजस यज्ञ हम श्री ( लक्ष्मी ) प्राप्ति के लिए , वास्तुदोष शांति के लिए , नव ग्रहों की शांति के लिए , रुद्राभिषेक के लिए , श्रीमद्भागवत कथा एवं राम कथा आदि के लिए करते हैं जिसका फल हमें मंगलमय आनंद स्वरूप में प्राप्त होता है।
तामस यज्ञ-
तामस यज्ञ सकारात्मकता को नष्ट करके नकारात्मकता को प्रदान करता है , तथा इस यज्ञ में ड़लने वाली समस्त आहुति सात्विक नहीं होती हैं तथा इस यज्ञ को मारण क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है।
तानस यज्ञ-