इस स्त्रोत में इन्द्रदेव द्वारा अखण्ड लक्ष्मी की प्राप्ति के लिये प्रार्थनाकी गयी है। इस स्त्रोत के पाठ करने से अषुभ ग्रहों के कारण, घर में रूपया का अभाव, धन आता है, रूकता नहीं, दुकान, या फैक्ट्री में लाभ न होन, धन के अभाव में ग्रह कलेष का निवारण भी लक्ष्मी स्त्रोतम के प्रतिदिन पाठ करने से समस्त बाधाऐं दूर होकर सुख समृद्धि यष की प्राप्ति है। इस स्त्रोत का पाठ इन्द्रदेव ने लक्ष्मी की प्रसन्नता हेतु किया जिसके पाठ से श्री महालक्ष्मी ने प्रसन्न हो अखण्ड राज लक्ष्मी का वरदान दिया था। अतः जीवन में इस पाठ का करना या विद्वान ब्राह्मण से कराने पर व्यक्ति धनबान होकर समस्त बाधाओं से मुक्त हो जाता है। यह संख्या 1100 या 11000 बार होना चाहिए। इसका वर्णन ऋग्वेद में मिलता है।
शुभमुहूर्त: गुरूवार का दिन माता लक्ष्मी की आराधना का दिन होता है। गुरूवार का दिन माता लक्ष्मी का पूजन, स्तोत्र पाठ और मंत्रोच्चारण से व्यक्ति का कल्याण होता है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होतh है।